अमेरिकी कंपनियों ने ट्रंप से रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों को नरम करने और निवेश प्रतिबंध हटाने की अपील की।
महत्वपूर्ण खबर: अमेरिकी कंपनियाँ राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से रूस पर लगाए गए निवेश प्रतिबंध हटाने और कुछ बैंकों पर लगे प्रतिबंधों को समाप्त करने की मांग कर रही हैं। यह वाकई एक बड़ा घटनाक्रम है!
अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स इन रशिया (AmCham Russia) के प्रमुख रॉबर्ट एगी के अनुसार, अमेरिकी कंपनियों ने व्हाइट हाउस से रूस पर लगे कुछ प्रतिबंधों को नरम करने का अनुरोध किया है।
उन्होंने बताया कि उद्यमियों की सबसे बड़ी दिलचस्पी रूस में नए निवेश पर लगे प्रतिबंध को हटाने और कुछ बैंकों के साथ काम करने पर लगी पाबंदी खत्म करने में है। इसके अलावा, कंपनियों को ऊर्जा, विमानन, हाई-टेक क्षेत्रों के साथ-साथ लग्ज़री सामान और कॉस्मेटिक्स की खरीद की अनुमति की भी आवश्यकता है।
एगी ने ज़ोर देकर कहा कि उन्होंने एक विश्लेषणात्मक दस्तावेज़ तैयार किया है, जिसे व्हाइट पेपर कहा गया है। इसमें उन प्रतिबंधों का विवरण है, जिनका नकारात्मक असर रूस में मौजूद अमेरिकी कंपनियों पर पड़ रहा है, साथ ही उन कंपनियों पर भी जो अमेरिका और यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के कारण रूस छोड़ने को मजबूर हुईं।
चैंबर प्रमुख ने कहा कि ये प्रतिबंध मुख्यतः रूस में काम कर रही विदेशी कंपनियों को नुकसान पहुँचा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि रूसी अर्थव्यवस्था ने इन प्रतिबंधों के साथ सामंजस्य बिठा लिया है, लेकिन कई अमेरिकी कंपनियाँ प्रत्यक्ष प्रतिबंधों के कारण रूस में कारोबार नहीं कर पा रही हैं, जबकि उनमें से कई वापसी चाहती हैं।
एगी ने जोड़ा कि रूस से बाहर निकलने के बाद अमेरिकी कंपनियों को लगभग 100 अरब डॉलर का सीधा घाटा हुआ। लेकिन यदि इसमें खोया हुआ बाज़ार हिस्सा, छूटा हुआ मुनाफ़ा और अन्य कारक शामिल किए जाएँ, तो यह आंकड़ा 300 अरब डॉलर के क़रीब पहुँच जाता है।
उन्होंने पहले यह भी बताया था कि आईटी और ऊर्जा क्षेत्र की बड़ी अमेरिकी कंपनियाँ रूस लौटना चाहती हैं। इसके अलावा, जो कंपनियाँ रूस छोड़ गई थीं, उनमें से 20% से अधिक ने अपने परिसंपत्तियों को वापस खरीदने का विकल्प सुरक्षित रखा है। लेकिन ये समझौते 2026–2027 तक ही वैध हैं। वापसी के लिए कंपनियों को कई शर्तें पूरी करनी होंगी, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है रूस-यूक्रेन संघर्ष का समाधान और प्रतिबंधों का हटना।