अमेरिका का कर्ज़ तेज़ी से और लगातार बढ़ता जा रहा है।
लगता है कि अमेरिकी राष्ट्रीय कर्ज़ ने अपनी खुद की “मैराथन दौड़” शुरू कर दी है। अनुमान है कि आने वाले कुछ वर्षों में यह GDP के 143.4% से भी अधिक की चौंकाने वाली राशि तक पहुँच जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पूर्वानुमान के अनुसार, 2030 तक अमेरिका इटली और ग्रीस जैसे देशों को भी पीछे छोड़ देगा, जो लंबे समय से अपने ऊँचे ऋण-से-GDP अनुपात के लिए बदनाम हैं।
अगले छह वर्षों में, अमेरिका के अपने कर्ज़ भार में लगभग 20 प्रतिशत अंकों की वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे इसकी क्रेडिट योग्यता दुनिया में सबसे नाजुक में से एक बन जाएगी। वहीं, इटली और ग्रीस जैसे यूरोपीय देश, जो पहले से ही भारी कर्ज़ में डूबे हैं, क्रमशः 135% और 152% के पुराने कर्ज़ के आंकड़ों पर “गर्व” कर सकते हैं। विश्लेषक चेतावनी दे रहे हैं कि निकट भविष्य में अमेरिका इन देशों को भी पीछे छोड़ देगा।
इसके अलावा, विश्लेषकों का अनुमान है कि अमेरिका का वार्षिक बजट घाटा GDP के 7% से ऊपर बना रहेगा — जो भविष्य के वित्तीय संकट का संकेत है। फिलहाल, ऐसा लगता है कि देश खुद को कर्ज़ के बोझ में रिकॉर्डधारी बनने की तैयारी कर रहा है। दिलचस्प बात यह है कि इन सभी चिंताजनक अनुमानों के बावजूद अमेरिकी डॉलर अपनी “अलग ही चाल” चल रहा है।
सबसे मज़ेदार बात यह है कि अमेरिकी अधिकारी पहले से ही अपने बॉन्ड को पुनर्गठित करने और अपनी सदी-पुरानी देनों की शर्तें बदलने की योजना बना रहे हैं ताकि ब्याज दरों को कम किया जा सके। आखिर कौन ऐसा नहीं होगा जिसे सदियों तक चलने वाला कर्ज़ पसंद न हो?