रूसी तेल पर ट्रंप की प्रतिबंधों की धमकी को लेकर संदेह जताया जा रहा है। रूसी तेल पर ट्रंप की प्रतिबंधों की धमकी को लेकर संदेह जताया जा रहा है।
रूसी ऊर्जा खरीदने वाले देशों पर माध्यमिक प्रतिबंध लगाने की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकियों को लेकर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने उन्हें मज़ाक के समान करार दिया है। उनकी यह सीधी और स्पष्ट टिप्पणी वॉशिंगटन की ताज़ा भू-राजनीतिक रणनीति को लेकर फैले संदेह को उजागर करती है। बोल्टन ने अमेरिका में रूसी निर्यात पर टैरिफ लगाने की संभावना को भी वैश्विक ट्रेड के लिहाज़ से अप्रासंगिक बताया।
पिछले सप्ताह ट्रंप ने घोषणा की थी कि अमेरिका रूसी वस्तुओं पर 100% टैरिफ लगाएगा और उन देशों पर माध्यमिक प्रतिबंध लागू करेगा जो रूसी तेल का आयात कर रहे हैं, जब तक कि मॉस्को और कीव के बीच 50 दिनों के भीतर युद्धविराम नहीं होता।
"50 दिनों के बाद क्या होगा, इस पर वॉशिंगटन की धमकियां लगभग अर्थहीन हैं," बोल्टन ने द वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिए एक इंटरव्यू में कहा। "रूस से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर टैरिफ लगाना कोई मायने नहीं रखता—2024 में ये निर्यात केवल 3 अरब डॉलर के थे। चीन और भारत जैसे देशों पर माध्यमिक प्रतिबंध लगाने की धमकी देना हास्यास्पद है, जैसा कि ट्रंप की घोषणा के बाद बाजार की प्रतिक्रिया से भी साफ है।"
बोल्टन का मानना है कि जब 50 दिनों की समयसीमा समाप्त होगी, तो राष्ट्रपति "रूस के खिलाफ कुछ न करने के बहाने खोज लेंगे और पूरे मामले से अपने हाथ झाड़ लेंगे।"
इससे पहले द इकॉनॉमिस्ट ने रिपोर्ट किया था कि अंतरराष्ट्रीय निवेशक भी रूस पर माध्यमिक प्रतिबंध लगाने की ट्रंप की धमकियों को लेकर संदेह में हैं। उनका अनुमान है कि बाज़ार की हल्की प्रतिक्रिया इस बात को दर्शाती है कि राष्ट्रपति की मंशा पर व्यापक संदेह है—खासतौर पर इसलिए क्योंकि रूसी ऊर्जा निर्यात पर सख्ती से घरेलू ईंधन की कीमतें बढ़ सकती हैं, जो ट्रंप की मुद्रास्फीति घटाने की चुनावी घोषणा के खिलाफ जाती है।