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बैंक ऑफ़ अमेरिका ने कमजोर अमेरिकी मज़दूरी आँकड़ों के बीच डॉलर में मंदी (बेअर्स) की ओर रुझान का संकेत दिया।

बैंक ऑफ़ अमेरिका ने कमजोर अमेरिकी मज़दूरी आँकड़ों के बीच डॉलर में मंदी (बेअर्स) की ओर रुझान का संकेत दिया।


अमेरिकी मुद्रा को चैन नहीं! एक पल यह ऊँचाई पर उड़ती है, तो अगले ही पल फिर नीचे गिर जाती है। इतनी तेज़ी से बदलती इस चाल के साथ तालमेल बिठाकर मुनाफ़े में रहना आसान नहीं। जहाँ भी नज़र डालें, डॉलर पर बेअर्स का दबदबा दिखाई देता है।

इसी माहौल में, बैंक ऑफ़ अमेरिका के विश्लेषकों ने अमेरिकी डॉलर में मंदी के रुझान (bearish trend) के बनने की ओर संकेत किया है, जो अमेरिकी रोज़गार आँकड़ों में तेज़ नकारात्मक संशोधन के बाद उभरा।

बैंक का करेंसी ट्रेंड फ़ैक्टर अब डॉलर के लिए मंदी की ओर मुड़ गया है, जबकि ऑप्शन मैट्रिक्स ब्रिटिश पाउंड, स्वीडिश क्रोना और दक्षिण अफ़्रीकी रैंड के मुकाबले डॉलर में गिरावट के संकेत दे रहे हैं। मैक्रोइकोनॉमिक कारक भी कुछ कमजोर हुए हैं, जिससे डॉलर पर मंदी का दबाव और पुख्ता हो गया है।

इसी पृष्ठभूमि में, बैंक ऑफ़ अमेरिका ने बताया कि अमेरिकी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) जारी होने से पहले निवेशकों ने बड़े पैमाने पर डॉलर पर शॉर्ट पोज़िशन खोली थीं। हालाँकि CPI आँकड़े अधिकांशतः विश्लेषकों की उम्मीदों के अनुरूप रहे और देश में कोर मुद्रास्फीति भी मध्यम रही। इस परिस्थिति में बैंक का मानना है कि अमेरिकी मुद्रा पर मंदी का दबदबा जारी रहेगा।

बैंक ऑफ़ अमेरिका ने यह भी रेखांकित किया कि लागत संबंधी कारक भी डॉलर के लिए मंदी का संकेत दे रहे हैं। वहीं, ऑस्ट्रेलियाई और न्यूज़ीलैंड डॉलर इस समय कम आँके हुए (undervalued) नज़र आते हैं। स्विस फ़्रैंक के बारे में बैंक का कहना है कि वह G10 समूह में सबसे अधिक महँगा (overvalued) है।

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