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अमेरिका–रूस संबंधों की संभावनाएँ अब भी अनिश्चित बनी हुई हैं।

अमेरिका–रूस संबंधों की संभावनाएँ अब भी अनिश्चित बनी हुई हैं।


कई विशेषज्ञों का कहना है कि रूस और अमेरिका का भविष्य अनिश्चित है। दोनों महाशक्तियों के बीच सहयोग की संभावनाएँ स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं हैं। इसी बीच, मॉस्को पर आर्थिक दबाव कम करने का प्रश्न अधर में है। इसके अलावा, रूस–अमेरिका शिखर सम्मेलन (अलास्का) से पहले शुरू की गई रूस के साथ ट्रेड और वित्तीय लेनदेन की अस्थायी अनुमति अब 20 अगस्त से समाप्त हो गई है। इससे पहले, 13 अगस्त को अमेरिकी वित्त विभाग ने रूस-विरोधी प्रतिबंधों के तहत रोके गए सभी लेनदेन की अनुमति दी थी। अब ये प्रतिबंध फिर से लागू हो गए हैं।

हालाँकि वॉशिंगटन की यह कार्रवाई अभूतपूर्व कही जा सकती है, लेकिन अमेरिकी प्रशासन ने रूस पर आर्थिक दबाव कम करने के लिए आगे कोई कदम नहीं उठाया है। पहले यह माना जा रहा था कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच वार्ता के दौरान राजनयिक संबंध सामान्य करने और प्रतिबंध हटाने (जिसमें रूसी विमानन उद्योग से जुड़े प्रतिबंध भी शामिल हैं) पर चर्चा हो सकती है। लेकिन बाद में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि अलास्का में हुए रूस–अमेरिका शिखर सम्मेलन में प्रतिबंधों पर चर्चा नहीं हुई।

इसी बीच, अमेरिकी प्रशासन नए प्रतिबंध लगाने से बच रहा है। स्टेट डिपार्टमेंट प्रमुख मार्को रुबियो के अनुसार, रूस पर नए प्रतिबंध लगाना इस बात का संकेत होगा कि यूक्रेन में शांति स्थापित करने की वार्ता समाप्त हो चुकी है। लेकिन वास्तविकता ऐसी नहीं है, इसलिए दोनों पक्ष बेहद सावधानी से कदम उठा रहे हैं।

वर्तमान में, डोनाल्ड ट्रंप, जिनके पास प्रतिबंध व्यवस्था में बदलाव का अंतिम अधिकार है, ने अभी तक मॉस्को पर पहले से घोषित दबाव उपाय लागू नहीं किए हैं। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति ने संकेत दिया है कि वे इसे अगले दो से तीन हफ्तों में विचार कर सकते हैं।

इससे पहले, अलास्का में पुतिन और ट्रंप के बीच वार्ता हुई थी। यह बैठक “थ्री प्लस थ्री” के सीमित प्रारूप में आयोजित हुई और लगभग 2 घंटे 45 मिनट चली।

रूसी अधिकारियों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि देश पश्चिमी प्रतिबंधों के दबाव का सामना करने में सक्षम है। मॉस्को ने कहा था कि पश्चिम में प्रतिबंधों की असफलता को स्वीकार करने का साहस नहीं है। वहीं, कई पश्चिमी देशों में बार-बार यह राय सामने आती रही है कि रूस-विरोधी प्रतिबंध प्रभावी नहीं हैं।

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