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यूरोपीय संघ रूस से ऊर्जा आयात के लिए चीन पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है।

यूरोपीय संघ रूस से ऊर्जा आयात के लिए चीन पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है।

रूस के हाइड्रोकार्बन निर्यात अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए चिंता का कारण बने हुए हैं। फ़ाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार, जानकार सूत्रों का हवाला देते हुए, यूरोपीय नेता चीन पर उसके रूसी तेल और गैस की ख़रीद के लिए प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं। प्रतिबंधों पर थकान और उनकी प्रभावशीलता को लेकर संदेह बढ़ने के बावजूद नए प्रतिबंधों पर चर्चा जारी है।

ईयू अधिकारी अब बीजिंग पर अतिरिक्त दंडात्मक कार्रवाई पर विचार कर रहे हैं, क्योंकि वह रूसी ऊर्जा—खासकर कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस—का बड़े पैमाने पर आयात जारी रखे हुए है।

रूस पर नए प्रतिबंध पैकेज पर चर्चा 7 सितंबर को शुरू हुई। मॉस्को पर दबाव बढ़ाने का एक तरीका उसके सबसे बड़े तेल ख़रीदार को निशाना बनाना होगा। चर्चाओं के दौरान चीन पर द्वितीयक प्रतिबंध लगाने का विचार बार-बार उठाया गया, हालांकि इस पर कोई आम सहमति नहीं बन पाई।

फ़ाइनेंशियल टाइम्स ने जोर देकर कहा कि वार्ताएं अभी "बहुत शुरुआती चरण में" हैं। किसी भी कदम को मंज़ूरी देने के लिए ईयू अधिकारियों को अमेरिका का समर्थन और सभी 27 सदस्य देशों की सर्वसम्मति की आवश्यकता होगी। हंगरी और स्लोवाकिया को बीजिंग पर द्वितीयक प्रतिबंधों के संभावित विरोधी के रूप में देखा जा रहा है।

इससे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीय नेताओं की आलोचना की थी कि वे रूसी ऊर्जा ख़रीदना जारी रखे हुए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने ईयू द्वारा रूसी तेल और गैस के आयात को "अस्वीकार्य" बताया था, यह तर्क देते हुए कि ये ख़रीदारी मॉस्को के बजट को फंड करती है और रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष को लंबा खींचती है।

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