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अमेरिकी दबाव के आगे झुका भारत, रूसी तेल से दूरी बनाना शुरू किया

अमेरिकी दबाव के आगे झुका भारत, रूसी तेल से दूरी बनाना शुरू किया

भारत को एक असहज समझौते की ओर धकेला जा रहा है। वाशिंगटन के साथ तनाव नहीं बढ़ाना चाहने वाली नई दिल्ली ने अमेरिकी दबाव के आगे झुकते हुए रूसी कच्चे तेल से दूरी बनानी शुरू कर दी है। देश की सबसे बड़ी सरकारी रिफाइनरी, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC), अब अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से लाखों बैरल तेल खरीद चुकी है, क्योंकि मॉस्को से भारत के लगातार तेल आयात पर पश्चिमी देशों की नजरें और कड़ी हो गई हैं।

ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने अमेरिका से लगभग 50 लाख बैरल और अबू धाबी से 20 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदा है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब अमेरिका और यूरोपीय सरकारों का दबाव बढ़ रहा है। उनका आरोप है कि भारतीय रिफाइनर रूस से ऊर्जा खरीद कर उसकी अर्थव्यवस्था को अप्रत्यक्ष रूप से सहायता दे रहे हैं। विश्लेषकों का मानना है कि कंपनी को जल्द ही रूस से बाहर एक और बड़े पैमाने की खरीदारी के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

हाल ही में भारत ने रूस से हाइड्रोकार्बन आयात में तेज़ी लाई थी, क्योंकि वहां से रियायती दरों पर तेल मिल रहा था। हालांकि, इसी सप्ताह की शुरुआत में सरकारी रिफाइनरियों को निर्देश दिए गए कि वे वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं से तेल खरीदने के लिए आपात योजनाएं तैयार करें।

भारतीय रिफाइनरियां अमेरिकी प्रशासन की कड़ी निगरानी में आ गई हैं, खासकर वाशिंगटन और ब्रसेल्स की ओर से मिले साझा चेतावनियों के बाद। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो रूसी तेल खरीददारों की अक्सर आलोचना करते रहे हैं, ने हाल ही में अपनी सख्त भाषा और तीव्र कर दी है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि भारत मॉस्को के साथ अपनी ऊर्जा संबंधों को जारी रखता है, तो उसे "अतिरिक्त आर्थिक दंड" का सामना करना पड़ सकता है।

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