ट्रम्प के वैश्विक टैरिफ़ को अमेरिकी अदालत ने अवैध करार दिया।
यक़ीन करना मुश्किल है, लेकिन एक अमेरिकी अदालत ने डोनाल्ड ट्रम्प के वैश्विक टैरिफ़ को अवैध करार दिया है। अब व्हाइट हाउस क्या करेगा? यह एक कठिन चुनौती है, लेकिन जिसे हल करना ज़रूरी है।
पिछले सप्ताह के अंत में, एक अमेरिकी अपील अदालत ने ट्रम्प के अधिकांश टैरिफ़ को गैरक़ानूनी घोषित किया और कहा कि राष्ट्रपति ने उन्हें लागू करते समय अपनी अधिकार-सीमा पार कर दी थी।
यह मुक़दमा 12 डेमोक्रेटिक-नेतृत्व वाले राज्यों के गठबंधन (जैसे ओरेगन, न्यूयॉर्क और कैलिफ़ोर्निया) तथा छोटे व्यवसायों ने दायर किया था। उनका तर्क था कि वैश्विक टैरिफ़ संवैधानिक शक्तियों के विभाजन का उल्लंघन करते हैं और अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियाँ अधिनियम (IEEPA) की सीमा से आगे निकल जाते हैं।
वॉशिंगटन की एक जजों की पैनल ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार न्यायालय के उस फ़ैसले को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया था कि राष्ट्रपति ने शुल्क लगाकर अपने आपातकालीन अधिकारों का दुरुपयोग किया। फिर भी, इस निर्णय के बावजूद, मुक़दमा अमेरिकी न्यायिक प्रणाली में आगे बढ़ने तक टैरिफ़ लागू रहेंगे।
यह फ़ैसला ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान लगाए गए टैरिफ़ पर लागू नहीं होता। इनमें स्टील, एल्यूमिनियम, ऑटोमोबाइल और चीनी सामान पर लगाए गए शुल्क शामिल हैं, जिन्हें अलग कानूनी आधार पर लागू किया गया था।
गौरतलब है कि मई 2025 में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार न्यायालय ने वादियों के पक्ष में फ़ैसला दिया था और कहा था कि टैरिफ़ "अल्ट्रा वायर्स" यानी कानूनी अधिकारों से परे हैं। इसके बाद न्याय विभाग ने इस निर्णय के ख़िलाफ़ अपील की और अस्थायी राहत प्राप्त कर ली।
अब व्हाइट हाउस भी सुप्रीम कोर्ट में अपील की तैयारी कर रहा है। यदि वैश्विक टैरिफ़ पर यह निर्णय बरकरार रहता है, तो इन टैरिफ़ को समाप्त किया जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा होने पर आयातकों को रिफ़ंड देना पड़ सकता है। हालाँकि, सबसे बड़ा नतीजा यह होगा कि राष्ट्रपति की ट्रेड नीति संबंधी शक्ति पर अंकुश लगेगा और कुछ अधिकार फिर से कांग्रेस को लौट सकते हैं।